संयुक्त राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन के आह्वान पर बालको परसाभाटा में विरोध प्रदर्शन

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बालकोनगर, (सार्थक दुनिया न्यूज)। संयुक्त राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर केंद्र सरकार की मजदूर, किसान एवं श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ 9 अगस्त से 14 अगस्त तक केंद्र सरकार के विरोध में प्रदर्शन करने का निर्णय लिया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में एल्युमिनियम एम्पलाइज यूनियन (एटक) बालको द्वारा परसा भाटा, आजाद चौक पर आज ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया गया। इस मौके पर राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा गया।


ज्ञापन में केंद्र सरकार द्वारा 1 जुलाई को 2024 को बनाए गए तीन नए आपराधिक कानूनों को वापस लेने पर आवश्यक रूप से विचार करने की मांग की गई है। इसमें यह भी कहा गया है कि संसदीय समिति के सुझावों को नजरंदाज कर लोगों पर थोपे गए इन कानूनों की मौजूदा समय में आवश्यकता नहीं है।मसौदे को सार्वजनिक रूप से उपलब्ध कराए बिना यह तर्क दिया जाना कि यह ब्रिटिश काल के कानून को बदलने के लिए है, गलत है। वस्तुत: यह पूर्ववर्ती कानून के सभी प्रावधानों को बरकरार रखता है।

आपको बता दें कि आईपीसी की धारा 124, जिसका उद्देश्य राजद्रोही (एक विशिष्ट ब्रिटिश राज अधिनियम) को दंडित करना है को बरकरार रखा गया है और इसमें 3 साल की कैद का प्रावधान है जिसे बढ़ाकर 7 साल कर दिया गया है। लोगों के किसी भी जमावड़े और जमावड़े के नेताओं को आतंकवादी घोषित किया जा सकता है। सभी ट्रेड यूनियन गतिविधियों को इस प्रावधान के तहत लाया जा सकता है। इसके अलावा विभिन्न धाराओं को फिर से क्रमांकित किया गया है जिससे भ्रम की स्थिति पैदा होती है और अगले कुछ वर्षों में मामलों की बड़ी संख्या लंबित हो सकती है।
वर्तमान में निचली अदालतों में 6.4 करोड़ मामले लंबित हैं जो पहले से ही असहनीय हो रहे हैं। प्रतिस्थापित कानून के 100 से अधिक वर्षों के उपयोग से निर्मित केस लॉ का कोई उपयोग नहीं होगा और वादी वकील न्यायाधीश संवैधानिक निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए संघर्ष करेंगे। SHO को एफआईआर दर्ज करने के सभी अधिकार दिए गए हैं यानी एफआईआर दर्ज करना भी उनका विवेकाधिकार होगा, जबकि पहले के प्रावधान के तहत हर नागरिक को एफआईआर दर्ज करने का अधिकार था। पुलिस हिरासत की अवधि 15 दिनों से बढ़कर 90 दिन कर दी गई है।
पुलिस को, शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर अपनी जायज मांगों को लेकर घेराव करने वाले मजदूरों के खिलाफ भी मामला दर्ज करने का अधिकार दिया गया है। इससे सत्तारूढ़ व्यवस्था और उसके आकाओं के दमनकारी मंसूबों को पूरा करने के लिए पुलिसिया राज की शुरुआत हो सकती है। ‘हिट एंड रन’ मामलों से संबंधित अन्य गंभीर अपराध के मामले में पहले भी देश के ट्रक ड्राइवरों ने जबरदस्त विरोध किया था जिसके चलते सरकार को पीछे हटना पड़ा और यह कहना पड़ा की इन धाराओं को लागू नहीं किया जाएगा। लेकिन सही रूप में सरकार ने इसे निरस्त नहीं किया है। वस्तुत: यह वर्ष 2016 में की गई नोट बंदी के समान है लेकिन यह उससे अधिक खतरनाक है जो नव उदारवादी ताकतों के हितों को पूरा करने के लिए आपराधिक न्यायशास्त्र का पुनर्गठन करके लोगों के अधिकारों पर हमले कर रहा है। इसी क्रम में, देश की समस्त केंद्रीय ट्रेड यूनियनें, स्वतंत्र महासंघों और संघों का मंच भी केंद्र सरकार से इन कानूनों को खत्म करने और पुराने कानून को वापस लागू करने का आग्रह कर रहे हैं।
आज के इस विरोध प्रदर्शन में छत्तीसगढ़ राज्य एटक के महासचिव कामरेड हरिनाथ सिंह, एल्युमिनियम एम्पलाइज यूनियन (एटक) के अध्यक्ष एस.के. सिंह, महासचिव सुनील सिंह, उपाध्यक्ष धर्मेंद्र तिवारी, पी.के. वर्मा एवं अनूप सिंह, सहायक महासचिव धर्मेंद्र सिंह, जी नरसिम्हा राव, दीपक कश्यप, पवन सोनी, धर्मेंद्र शाह, घनश्याम पटेल, तवरेज अहमद, वकील राम, सुग्रीव यति, रामू केवट, राकेश बर्मन, मनोज प्रजापति, मुकेश कुमार, ताराचंद कश्यप, फुलेंद्र पासवान, अभिषेक मिश्रा, दिनेश सिंह, एम डी शोएब खान सहित सैकड़ों साथी शामिल हुए।

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