चंडीगढ़, (शैलेन्द्र गौतम) | एक शख्स के खिलाफ महिला की तरफ से दर्ज कराए गए छेड़छाड़ के मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख दिखाया है। हाईकोर्ट ने महिला की शिकायत को झूठा बताते हुए कहा कि आजकल ट्रेंड चल रहा है झूठे मामले दर्ज कराने का। अदालत के तेवर इतने ज्यादा तल्ख थे कि महिला को फटकार लगाने के बाद भी जस्टिस का गुस्सा ठंडा नहीं पड़ा। उन्होंने उस पर 1 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया।
वरूण बग्गा बनाम पंजाब सरकार के केस में जस्टिस आलोक जैन ने कहा कि पहले महिला ने शख्स को सरेआम पब्लिक प्लेस पर चाटा मारा। फिर उसने उसके खिलाफ छेड़छाड़ की एफआईआर करा दी। उसके बाद वो समझौते के लिए भी राजी हो गई। उनका कहना था कि ऐसा लगता है कि महिला ने कानून को मजाक समझ रखा है।
उनका कहना था कि ये सारा सिस्टम जनता के पैसे से चलता है। इस तरह के लोगों की हरकत से पुलिस और अदालतों को बेवजह के झमेलों से जूझना पड़ता है। ये लोग अपनी ईगो के लिए केस दर्ज कराते हैं और फिर सुविधा से समझौता कर लेते हैं।
महिला के खिलाफ कोई सख्त फैसला लेने के मूड़ में थे जस्टिस जैन
हाईकोर्ट चीफ जूडिशियल मजिस्ट्रेट की एक रिपोर्ट पर गौर कर रही थी, जिसमें कहा गया था कि दोनों पक्षों के बीच स्वेच्छा से समझौता हुआ है। जस्टिस आलोक जैन का कहना था कि केस दर्ज कराने से लेकर समझौते तक पुलिस और अदालत को बेवजह मशक्कत करनी पड़ी। हाईकोर्ट का रवैया महिला के प्रति बहुत ज्यादा सख्त था। जस्टिस जैन कोई सख्त फैसला करने के मूड़ में थे। लेकिन फिर जुर्माना लगाकर महिला को जाने दिया गया। जस्टिस जैन का कहना था कि इस केस में हाईकोर्ट के पास सख्त कदम उठाने की पूरी वजह है।
झूठे मामलों की वजह से पूरी मशीनरी को बेवजह जूझना पड़ता है
जस्टिस जैन का मानना था कि झूठी एफआईआर दर्ज नहीं कराई जानी चाहिए। इससे स्टेट की पूरी मशीनरी को बेवजह जूझना पड़ता है। जरूरी काम इसमें कहीं और अटक जाते हैं। उनका कहना था कि पुलिस और अदालत का सिस्टम ठीक से तभी काम कर सकता है जब उसके सामने आने वाले मामले ठीक हों।