छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में एक ऐसा वाकया सामने आया है, जहां एक अधिकारी अपने ही विभाग में हुए भ्रष्टाचार के विरोध में अनशन पर बैठ गए। दरअसल, सुधाकर बोंदले छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी पद पदस्थ हैं। जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी ने मुख्यमंत्री कन्यादान विवाह योजना एवं रेडी टू ईट योजना में भारी भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की और अपने ही निवास में अनशन पर बैठ गए।
महासमुंद/रायपुर | गांधीगिरी का तरीका अपनाकर अपने घर पर ही अनशन शुरू करने वाले महिला एवं बल विकास अधिकारी को पुलिस ने रविवार को गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि उन्होंने अनशन के लिए प्रशासन से अनुमति नहीं ली थी। महिला एवं बाल विकास अधिकारी सुधाकर बोंदले को पुलिस प्रतिबंधात्मक धाराओं के तहत गिरफ्तार करने के बाद उनका स्वास्थ्य परीक्षण करा रही है और इसके बाद उन्हें एसडीएम के न्यायालय में पेश किया जायेगा।
उल्लेखनीय है कि सुधाकर बोंदले ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह एवं रेडी टू ईट योजना में लगभग 30 लाख रुपये की गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए उच्च अधिकारियों से शिकायत की थी, मगर कार्रवाई नहीं होने के चलते वह अनशन पर बैठ गए थे। इस मुद्दे पर महासमुंद के कलेक्टर डोमन सिंह ने कहा कि जिला महिला बाल विकास अधिकारी महासमुंद सुधाकर बोदले द्वारा जो शिकायतें भ्रष्टाचार के संबंध में की गई है, उसमें शासन स्तर से जांच चल रही है एवं जिला स्तर से भी कार्रवाई की जाएगी। जिले में किसी प्रकार के भ्रष्टाचार को संरक्षण नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह मामला प्रथम दृष्टया विभागीय अधिकारियों के बीच आपसी खींचतान का दिखाई पड़ता है।
इस मामले में भ्रष्टाचार के आरोप जिला कार्यक्रम अधिकारी मनोज सिन्हा पर लग रहे हैं, मगर उनके द्वारा उल्टे सुधाकर बोंदले पर आरोप लगाया जा रहा है। मनोज सिन्हा कहते हैं कि जब से जिले में उनकी पदस्थापना जिला कार्यक्रम अधिकारी महासमुंद के पद पर हुई है तभी से सुधाकर बोदले को समस्या हो रही है। पूर्व में बोदले जिला कार्यक्रम अधिकारी महासमुंद के प्रभार में पदस्थ थे। इसलिए सुधाकर बोदले समय-समय पर कोई न कोई समस्या उत्पन्न कर उनकी छवि खराब करने का प्रयत्न करते रहे हैैं।