कोरबा। कमर दर्द और पैरों की असहनीय पीड़ा से चलने-फिरने में असमर्थ हो चुके 82 वर्षीय मरीज का न्यू कोरबा हॉस्पिटल में संबंधित बिमारी का किए गए सफल आपरेशन के बाद अब एक नई जिंदगी मिल गई है। न्यूरोसर्जन डॉ. दिविक एच. मित्तल ने मरीज व उनके परिजनों को बड़ी राहत दी है। दीपका निवासी भीम बहादुर के कमर व पैरों में काफी समय से दर्द उठ रहा था। दर्द निवारक दवा, व्यायाम, मालिश सहित सब-कुछ आजमा लेने के बाद भी उसे राहत नहीं मिल रही थी। धीरे-धीरे दर्द बढ़ता गया और अचानक असहनीय दर्द के साथ कमजोरी के कारण चक्कर आने की भी शिकायत बढ़ने लगी। परेशान परिजन कई अस्पतालों का चक्कर लगाते रहे लेकिन मरीज को कोई आराम नहीं मिला। दर्द के कारण चलने-फिरने में वह असहाय भी हो गया।
सभी जगह से थक-हार कर उसके परिजन उसे लेकर न्यू कोरबा हॉस्पिटल पहुंचे। वहां रीढ़ की हड्डी का एमआरआई करने पर पता चला कि कमर की नस दबी हुई है जिसकी सर्जरी ही बचाव का एक मात्र उपचार था। मरीज़ के परिजनों की सहमति के बाद डॉ. मित्तल ने एनेस्थेटिस्ट डॉ. रोहित मजुमदार , ओटी टेक्नीशियन देवेंद्र मिश्रा व सहयोगी टीम के साथ उसके मर्ज का ऑपरेशन किया। लगभग 4 घण्टे तक चला ऑपरेशन सफल रहा। फिजियोथैरेपिस्ट डॉ. अमन श्रीवास्तव व डॉ. यशा मित्तल के प्रयास से मरीज को चलाया- फिराया गया। मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है और अब वह स्वस्थ है। मरीज के परिजनों ने डॉ. डी.एच. मित्तल सहित एन.के.एच. टीम के प्रति आभार जताया है।
नसों में दबाव की वजह से कमर के नीचे सुन्नपन डॉक्टर मित्तल ने बताया कि शरीर के निचले हिस्से में आने वाले सुन्नपन, झनझनाहट, दर्द और कमजोरी को नजर अंदाज नहीं करना चाहिए। यह सामान्य बीमारी नहीं होती है। रीढ़ की हड्डी, गर्दन में ट्यूमर व नसों में दबाव होने के कारण भी ऐसा हो सकता है। इसके डायग्नोस और इलाज में देरी करने पर लकवा आने का खतरा बढ़ जाता है। नस में होने वाला ट्यूमर किसी भी उम्र में हो सकता है।