आरोप: कांग्रेस सांसद ज्योत्सना महंत ने जिस एक गांव को गोद लिया, भीषण गर्मी में प्यास से बेहाल हो सिसक रहे लोग,  कैसे होगा लोकसभा क्षेत्र के हजारों गांवों का विकास 

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खस्ताहाल सड़क, कचरे और गंदगी में पड़ा गांव, शायद गोद लेने के बाद से नहीं पड़े सांसद ज्योत्सना महंत के चरण

गर्मी में पानी की किल्लत से जूझ रहे ग्रामीण, फोटो खिंचाकर गायब हुई सांसद को मदद के लिए 5 साल ढूंढ़ते रह गए लोग


कही अनकही सार्थक दुनिया, कोरबा 
भाजपा की लोकसभा प्रत्याशी सुश्री सरोज पांडेय ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान कोरबा की मौजूदा सांसद और प्रत्याशी ज्योत्सना चरणदास महंत पर निष्क्रियता सहित कई अनेक गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि  गांवों को गोद लेकर उसे शहर की तरह बनाने का सब्जबाग दिखाने वाली सांसद ज्योत्सना महंत ने दोबारा उनकी ओर पलट कर कभी नहीं देखा। तस्वीरें खिंचवाकर खुद का गुणगान करने का मौका ढूंढने वाली निष्क्रिय सांसद ने कोरबा लोकसभा क्षेत्र के एक गांव को गोद लेकर गांव सुधार का जिम्मा तो उठा लिया पर इस मौके की फोटो खिंचवाने के बाद से उनके चरण उधर कभी नहीं पड़े।
दिलचस्प बात यह है कि गांव में रहने वाले कई ग्रामीण यह खुद भी नहीं जानते हैं कि वह सांसद कौन हैं, जिन्होंने अपने को उनका पालक घोषित कर उन्हें बेसहारा छोड़ दिया है। सुश्री सरोज पांडेय ने कहा कि बारिश के मौसम में गांवों की गलियां जहां कीचड़ से सराबोर रहती हैं, वहीं गर्मी के मौसम में लोग पानी की किल्लत से प्यास से बेहाल देखे जा सकते हैं। गांव कूड़ा करकट और गंदगी में पड़ा सिसक रहा है। खस्ताहाल सड़कों में ग्रामीणों के पैर छालों से लबरेज हैं। पांच साल से बेसब्री से इंतजार कर रही लोकसभा क्षेत्र की जनता भला अपनी बेपरवाह सांसद से आगे और क्या उम्मीद कर सकती है, जो दोबारा उन्हें अपना कीमती वोट देकर अपने ही पैरों में कुल्हाड़ी मारने की गलती दोहराए।
भाजपा प्रत्याशी सुश्री सरोज पांडेय ने यह भी कहा कि कोरबा लोकसभा क्षेत्र की सांसद ज्योत्सना चरणदास महंत ने पांच साल के अपने कार्यकाल में वैसे तो दो-दो गांव गोद लिए, पर किसी एक गांव की भी दशा अबतक नहीं सुधार सकी है। यहां आज भी, खासकर गर्मी के इस मौसम में नीचे चले जाने वाले जल स्तर के भारी संकट को महसूस किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सांसद ज्योत्सना ने जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कटघोरा ब्लाक के अंतर्गत ग्राम ढुरैना को गोद ले रखा है। यहां पेयजल एक बड़ी समस्या है। गांव के पास कोयला का खदान क्षेत्र है, जिस वजह से जल स्तर में भारी गिरावट आई है। गर्मी में यह समस्या और भी विकट हो जाती है, लेकिन जनता को इसका समाधान अब तक नहीं मिल सका है। इसके अलावा सांसद की ओर से स्वीकृत किए गए कई विकास कार्य अब तक शुरू नहीं हो पाए हैं।

सांसद निधि से मांगा सीसी रोड, लाखों खर्च कर सिर्फ मुरुम डाल गए


सुश्री सरोज पांडेय ने कहा कि सांसद निधि लोगों की मदद करने और जन कल्याण के लिए होती है, पर सांसद ज्योत्सना महंत इसका भी उपयोग ठीक ढंग से नहीं कर पाईं। और जहां हुआ भी, वहां आधी-अधूरी व्यवस्था आज भी देखी जा सकती है। उन्होंने पोड़ी उपरोड़ा ब्लाक के जल्के गांव को भी गोद लिया था, लेकिन यहां भी अब तक मूलभूत सुविधाओं का अभाव बना हुआ है। गांव के सरपंच मंगल सिंह कहते हैं, कि बस्ती से मुख्य रोड तक मार्ग के लिए सांसद निधि से कंक्रीटीकरण की मांग की गई थी पर मनरेगा से केवल मुरूम डाल दिया गया। तालाब को गहरा करने के लिए सांसद निधि से 14.80 लाख रुपए आवंटित हुए हैं। पहले चरण में 6 लाख की राशि मिली है, जिससे काम जारी है। वहीं गांव के मिडिल स्कूल की भी हालत जर्जर हो चुकी है।

छग की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की बेसहारा सांसद
भाजपा प्रत्याशी सुश्री पांडेय ने कहा कि कोरबा ब्लाक अंतर्गत आने वाला ग्राम भैसमा भी आदर्श ग्राम के रूप में चुना गया था लेकिन यहां के लोगों को भी इसका बहु-प्रतीक्षित लाभ नहीं मिल सका। यहां सांसद निधि से महज 10 मीटर सीसी रोड का ही निर्माण हुआ है। इसके अलावा अनेक कार्य प्रस्तावित तो किए गए, पर आज भी उसका अता पता नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि सांसद ज्योत्सना महंत की पांच साल की सांसदी के बीच चार साल तक कांग्रेस की भूपेश सरकार प्रदेश में काबिज रही, खुद पूर्व राजस्व मंत्री उनके अपने संसदीय क्षेत्र कोरबा से ही थे, बावजूद इसके इस बीच वे अपनी ही सरकार के होते असहाय नजर आईं।

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