विशेष: वेदांता स्किल स्कूल छत्तीसगढ़ के युवाओं को बना रहा आत्मनिर्भर

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|| सार्थक दुनिया न्यूज़, कोरबा  || 

बालकोनगर, (कोरबा) | वेदांता समूह की कंपनीभारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड’ (बालको) अपने कौशल विकास केंद्रों के माध्यम से हजारों ग्रामीण युवाओं को सक्षम बना रही है, जिससे छत्तीसगढ़ में सामाजिक-आर्थिक विकास के क्षेत्र में सकारात्मक परिवर्तन हो रहा है। कुशल मानव संसाधन से किसी भी राष्ट्र के विकास यात्रा को  निरंतर गति मिलती है। विश्व की अग्रणी अर्थव्यवस्था में शामिल होने की भारत की आकांक्षाओं के लिए विकास की गति को बनाए रखने के लिए कुशल जनशक्ति की आवश्यकता है। विशेष रूप से कम सुविधा वाले ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में युवाओं के बीच रोजगार योग्य और उद्यमशीलता कौशल के विकास की आवश्यकता है।

समाज को वापस देने का दृष्टिकोण ही ‘बालको’ के सामुदायिक विकास की आधारशिला है। अपने प्रचालन से सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण और स्थानीय समुदायों को सक्षम करने के प्रतिबद्धता के अनुरूप कौशल विकास के माध्यम से युवाओं को सशक्त बनाने हेतु बालको ने 2010 में कोरबा वेदांता स्किल स्कूल की स्थापना के लिए लर्नेट स्किल्स लिमिटेड के साथ भागीदारी की।
वेदांता स्किल स्कूल प्रशिक्षण केंद्र में आतिथ्य उद्योग, वेल्डिंग, सिलाई मशीन ऑपरेटर, सोलर पीवी टेक्निशियन, इलेक्ट्रीशियन और फिटर के छह ट्रेडों में मुफ्त आवासीय प्रशिक्षण दिया जा रहा है। 45 से 65 दिनों के प्रशिक्षण कार्यक्रम को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार किया गया है। वेदांता स्किल स्कूल, मुख्यमंत्री कौशल विकास योजना (एमएमकेवीवाई), नाबार्ड, स्किल इंडिया इम्पैक्ट बॉन्ड (एसआईआईबी) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोलर एनर्जी (एनआईएसई) जैसी सरकारी योजनाओं के साथ मिलकर यह प्रशिक्षण दे रहा है। कोरबा में कौशल विद्यालय की सफलता के बाद क्रमशः वर्ष 2017 और 2018 में मैनपाट और कवर्धा में दो और केंद्र स्थापित हुए। इन केंद्रों से छत्तीसगढ़ के लगभग 10 हजार युवाओं को प्रशिक्षित किया जा चुका है तथा उन्हें देश भर के विभिन्न उद्योगों में रोजगार मिला है। युवाओं को प्रशिक्षण देने के अलावा, संस्थान इस क्षेत्र में रोजगार दर, जीवन की गुणवत्ता, असमानताओं को कम करने और जीवन के कई अन्य पहलुओं में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।


बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक अभिजीत पति ने कहा कि वेदांता में, सतत आजीविका विकास हमारे सामुदायिक विकास प्रयासों में प्रमुख स्तंभ है। वेदांता स्किल स्कूल के माध्यम से हमारा लक्ष्य स्थानीय युवाओं के बीच कौशल विकास के अवसरों को बढ़ावा देना है, जिससे उन्हें रोजगार योग्य कौशल सीखने के अवसर प्राप्त हों। देश के उत्तरोत्तर विकास में प्रशिक्षित युवाओं की भागीदारी महत्वपूर्ण है। कंपनी समुदाय में प्रत्येक व्यक्ति को आत्मनिर्भर तथा सशक्त बनाने के लिए आवश्यक संसाधनों के साथ सक्षम बनाने में विश्वास करता है। हमारे विभिन्न सामुदायिक विकास कार्यक्रम उस दृष्टिकोण से जुड़े हुए हैं।

होटल बेबीलोन इंटरनेशनल रायपुर के मानव संसाधन प्रबंधक संदीप कुमार राय ने बालको के कौशल विकास कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि हमारे संगठन में नियोजित उम्मीदवारों ने अनुकरणीय पेशेवर कौशल प्रदर्शित किया है। बालको की ओर से प्रारंभ यह केंद्र युवाओं को आत्मनिर्भर बनने का आत्मविश्वास और संबल देता है और उन्हें राष्ट्र निर्माण में योगदान करने में सक्षम बनाता है।

पीजी इलेक्ट्रोप्लास्ट प्राइवेट लिमिटेड, पुणे में असेंबली फिटर के पद पर कार्यरत पूर्णेश दरवेश ने कहा कि कौशल स्कूल में दाखिला लेना मेरे जीवन के सबसे अच्छे फैसलों में से एक रहा है। मैं खाद्य और पेय कार्यक्रम में प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल हुआ था। अपने परिवार को आर्थिक रूप से सहायता देने और पिता के साथ जिम्मेदारियों को साझा करने पर गर्व है।

यंग ब्रांड, तिरुपुर में सिलाई मशीन ऑपरेटर इंदु पकवासा ने बताया कि वेदांत स्किल स्कूल का छात्र होने के लिए भाग्यशाली महसूस करती हूं क्योंकि आत्म-निर्भरता की मेरी यात्रा में सहायक बन मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पूर्व छात्रा संतोषी धुर्वे ने आभार जताते हुए कहा कि स्किल स्कूल ने उनके जीवन को नई दिशा दी है। आर्थिक रूप से परिवारजनों की मदद कर उन्हें गौरव की अनुभूति होती है। संस्थान ने आत्मनिर्भरता होने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बालको के लिए समुदायों का सामाजिक-आर्थिक विकास सर्वोपरि है। कंपनी शिक्षा, स्थायी आजीविका, महिला सशक्तिकरण, स्वास्थ्य संपदा, स्वच्छता, खेल, संस्कृति और बुनियादी जरूरतों के विकास में गहन हस्तक्षेप के माध्यम से सालाना लगभग 1.5 लाख लोगों के जीवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप रोजगार के अवसर प्रदान करती है। बालको के सामाजिक विकास प्रयास छत्तीसगढ़ के 4 जिलों को कवर करते हुए 123 गांवों तक पहुंचती है। कोरबा, कवर्धा, सरगुजा और रायपुर, और इसकी सीएसआर नीतियों और प्रणालियों को जमीन पर स्थायी प्रभाव देने के लिए तैयार और कार्यान्वित किया जाता है, जिससे इन समुदायों को राष्ट्र की प्रगति में एक समान भागीदार बनाया जाता है।


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