रायगढ़: विद्युत विभाग की मनमानी चरम पर, हर रोज बिना किसी कारण घंटों हो रही बिजली गुल, नेता हैं पूरी तरह मौन 

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लक्की गहलोत की खबर✍️

रायगढ़, (सार्थक दुनिया)। जिले में गर्मी अपने परवान में चढ़ी हुई है। शहर में तापमान की गति भी बढ़ गई है। बढ़ी हुई इस गर्मी से बचने के लिए लोगों के पास कूलर और एसी ही एकमात्र साधन होता है। एक तरफ चिलचिलाती धूप और गर्मी से लोग जहां पूरी तरह से बेहाल हैं वहीं दूसरी तरफ शहरवासी बार- बार बिजली गुल होने की समस्या से जूझ रहे हैं। विद्युत विभाग द्वारा मेंटेनेंस के नाम पर रोजाना शहर के विभिन्न क्षेत्रों में घंटों बिना किसी सूचना के बिजली कटौती की जा रही है, जिससे शहरवासी काफी परेशान हो रहे हैं। बिजली विभाग के अधिकारी और कर्मचारी जानते ही हैं कि मई के महीने में गर्मी बढ़ी हुई होती है। गर्मी के समय में बार- बार बिजली कटौती करने का मतलब सीधा सीधा लोगों को दुख देना ही है। शहर के करीब – करीब सभी क्षेत्रों में अघोषित तौर पर रोजाना चार से पांच बार बिजली गुल की स्थिति बन रही है। रायगढ़ शहर में बीते एक माह में ही अघोषित तौर पर हजारों बार लाइन कटौती की जा चुकी है। जैसे जैसे गर्मी बढ़ रही है ऐसे में तो यह समस्या और भी बढ़ने लगी है।
शहरवासियों के अनुसार गर्मी के इन दिनों में दिन भर में रोजाना 50 से भी ज्यादा बार विद्युत गुल हो जाती है। शहर के कुछ और लोगों ने बताया कि बिजली विभाग द्वारा पिछले कुछ महीनों से रात में भी बार – बार बिजली कटौती की जा रही है। बिजली विभाग की इस मनमानी को लेकर हर रोज सोशल मीडिया पर समाचार पोस्ट किए जाते हैं,  जिसे ध्यान में रखने के बावजूद बिजली विभाग अपने अड़ियल रवैया से बाज नहीं आ रहा है।
आपको बता दें बिजली विभाग द्वारा जारी किए गए हेल्प लाइन नम्बर पर जब भी लोग फोन लगाते हैं, वह फोन कई घंटों तक व्यस्त ही बताता है। इसका मतलब क्या है?  कुछ महीनों पहले जब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार काबिज थी उस समय भाजपा के नेता बिजली विभाग की इसी बिजली कटौती पर तंज कसा करते थे, पर भाजपा सरकार आते ही इस बिगड़े हुए सिस्टम को सुधारने की बजाए वे भी कांग्रेस के ही राह पर चलने लगे हैं। यहां इन दोनों दलों में सिर्फ इतना फर्क है कि जब कांग्रेस का शासन था उस समय भाजपा नेता मुखर होकर कांग्रेस सरकार पर हावी होते थे, वहीं अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद कांग्रेसी नेता जनहित के मुद्दे को उठाने की बजाए चुप्पी साधे बैठे हैं। ऐसा लगता है कांग्रेस को जनता के मुद्दे से कोई लेना देना नहीं रह गया है। कांग्रेसी केवल चुनाव के समय वोट मांगने जनता के पास जायेंगे। यह कहना अब किसी भी दृष्टि से गलत नहीं होगा कि यहां के कांग्रेसी नेता विपक्ष की भूमिका निभाने में भी पूरी तरह से विफल साबित हो रहे हैं। 

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