यूपी: प्रदेश का पहला जीका वायरस रोगी कानपुर में मिला, जांच के लिए दिल्ली से आई टीम

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                        जीका वायरस: फोटो
कानपुर में शनिवार को जीका वायरस का पहला मरीज मिलने से हड़कंप मच गया। जानकारी पर दिल्ली के विशेषज्ञों की टीम पहुंची। मरीज के संपर्क में आने वालों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं।

                   सार्थक दुनिया न्यूज़, कानपुर            उत्तर प्रदेश में जीका वायरस का पहला मरीज कानपुर में मिला है। एयरफोर्स स्टेशन के वारंट अफसर एमएम अली (57) को संक्रमण की पुष्टि हुई है। वह एयरफोर्स अस्पताल में भर्ती हैं। लक्षणों के आधार पर अस्पताल प्रबंधन ने उनका सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा था। रिपोर्ट शनिवार को आई।
मामले की जानकारी पर दिल्ली के विशेषज्ञों की टीम पहुंची। मरीज के संपर्क में आने वालों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए हैं। जीका संक्रमण की रोकथाम के लिए 10 टीमें गठित की गई हैं। एयरफोर्स के वारंट अफसर एमएम अली को चार-पांच दिन से बुखार आ रहा था।

इस पर उन्हें एयरफोर्स अस्पताल में भर्ती किया गया। उनका सैंपल जांच के लिए पुणे भेजा गया, जिसमें जीका वायरस की पुष्टि हुई। वह पोखरपुर में रहते हैं। जीका संक्रमित रोगी मिलने की खबर पर स्वास्थ्य विभाग में सनसनी फैल गई। उनके साथ काम करने वाले और पोरखपुर में उनके संपर्क में आने वाले सभी लोगों की सैंपलिंग की गई। सैंपल जांच के लिए पुणे भेजे जाएंगे।

डीएम ने स्वास्थ्य विशेषज्ञों संग की बैठक
जिलाधिकारी विशाख जी ने एयरफोर्स अस्पताल, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, उर्सला, डफरिन, कांशीराम अस्पताल के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की बैठक बुलाई। प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने मरीज से संबंधित स्थानों का निरीक्षण किया और रोग से बचाव के कदम उठाए गए।

नगर निगम की टीम से फॉगिंग और मच्छर मारने की दवा का छिड़काव करने के लिए कहा गया है। जिलाधिकारी ने बताया कि मरीज में जीका की पुष्टि हुई है। यह यूपी का पहला मामला है। रोकथाम के कदम उठाए जा रहे हैं। इसका वायरस कोरोना की तरह नहीं फैलता? यह डेंगू की तरह वेक्टर बोर्न है।

क्या होता है जीका वायरस
जीका वायरस का फिलहाल कोई इलाज नहीं है। जिले में पहला केस मिलना भी अपने आप में सवाल है, क्योंकि नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलाजी (एनआइवी) की लैब की जांच में पुष्टि हुई है। अभी तक डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया ही कहर बरपा रहे थे। 

जीका वायरस का संक्रमण भी मच्छरों के जरिए ही फैलता है। डेंगू, चिकनगुनिया, यलो फीवर और वेस्ट नाइल वायरस के संवाहक एडीज प्रजाति के मच्छर हैं, जिनके काटने से इन बीमारियों के वायरस शरीर में प्रवेश करके संक्रमण फैलाते हैं।
इनमें एडीज एब्लोपिक्टस और एडीज एजेप्टी नामक मच्छर अधिक घातक होते हैं। जीका वायरस फ्लेविविरिडे फैमली के फ्लेवी वायरस से संबंधित है। जब यह मच्छर जीका वायरस से संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो मच्छर भी संक्रमित हो जाता है, उसके बाद जिस भी व्यक्ति को काटता है वह संक्रमित हो जाता है।

 

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