विशेष : सार्थक दुनिया न्यूज़ डेस्क
भारत और अमेरिका समेत दुनियाभर के प्रमुख देशों में कोरोना के कहर से अब युवा सबसे अधिक प्रभावित हो रहे हैं। भारत में भी कोरोना के ब्रिटिश प्रकार, दक्षिण अफ्रीकी प्रकार और ब्राजील प्रकार पाए गए हैं। दिल्ली और मुंबई समेत देश के अन्य हिस्सों में भी कोरोना संक्रमित युवाओं की संख्या बढ़ी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई में एक से 11 अप्रैल तक जितने भी कोरोना मौतें हईं, उनमें 10 फीसदी लोग 45 वर्ष से कम उम्र के थे। इसी तरह अमेरिका में कोरोना वायरस का ब्रिटिश प्रकार (बी.1.1.7) इस कदर कहर बरपा रहा है कि आईसीयू में युवा मरीजों की भीड़ बढ़ने लगी है।
टीका नहीं लगवाने वाले युवा अधिक प्रभावित:
यूएस सेंटर फॉर डीजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन केे निदेशक डॉ. रॉचेल वालेंस्की के मुताबिक संक्रमित होने वाले युवाओं में ज्यादातर वे हैं, जिन्होंने अभी तक टीका नहीं लगवाया है। डॉ. जस्टिन स्क्रींस्की के मुताबिक राज्य में कोरोना के 40 फीसदी नए मरीज वायरस के नए प्रकार बी.1.1.7 से प्रभावित हैं। यह नया प्रकार बच्चों को भी अपनी चपेट में ले रहा है।
मुंबई में युवाओं की मौत बढ़ी :
मुंबई शहर में एक से 11 अप्रैल के बीच कोरोना से मरने वालों की संख्या पूरे मार्च के दौरान हुई मौतों के मुकाबले 55 फीसदी अधिक है। खास बात यह कि इनमें से 10 फीसदी मृतक की उम्र 45 वर्ष से कम है। यह बताया गया कि उन लोगों की मौत ज्यादा हुई है जो अपने घर पर सात-आठ दिनों तक पृथकवास में रहे, जिससे उनकी तबीयत और बिगड़ गई। मुंबई में मार्च के दौरान 215 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई, जबकि एक से 11 अप्रैल के बीच यह आंकड़ा 333 था।
मुगालते में ना रहें युवा : विशेषज्ञ
डॉ. मेगन रेनी कहते हैं कि युवाओं को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि- मैं युवा हूं, मुझे संक्रमण नहीं होगा, हो भी गया तो ठीक हो जाऊंगा। रेनी के मुताबिक हो सकता है कि कोई युवा आसानी से संक्रमण से ठीक हो जाए, लेकिन सभी लोग इतने किस्मती नहीं हो सकते। एक अन्य सवाल के जवाब में रेनी ने कहा- केवल एक-दो वायरस से संपर्क में आने पर किसी के बीमार होने की संभावना कम है। लेकिन यह भी सही है कि यदि कोई व्यक्ति एक साथ वायरस की बहुत अधिक संख्या से संक्रमित हुआ, तो उसकी हालत गंभीर होने की आशंका अधिक है, भले ही वह अधिक स्वस्थ हो। अमेरिका में युवाओं के लिए जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि सांस में दिक्कत और थकान को अनदेखा नहीं करें।
कोरोना से उबरे 10 फीसदी लागों की स्वाद क्षमता प्रभावित :
कोरोना संक्रमण से ठीक हुए 10 में से एक व्यक्ति में दीर्घकालिक दुष्प्रभाव देखने को मिल रहे हैं। जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (जेएएमए) में प्रकाशित शोध रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 10 फीसदी कोरोना मरीजों में आठ महीने बाद कोई न कोई मध्यम या गंभीर लक्षण देखने को मिल रहे हैं जैसे कि सूंघने की क्षमता का चला जाना। ये लक्षण उनके काम, सामाजिक या निजी जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाला है। अध्ययन में पाया गया कि सबसे लंबे दीर्घकालिक लक्षणों में सूंघने के अलावा स्वाद लेने की क्षमता का चला जाना और थकान शामिल है। अध्ययन की प्रमुख अनुसंधानकर्ता शारलोट थालिन ने कहा- “कोरोना ग्रस्त लोगों में थकान और सांस संबंधी समस्याएं आम हैं, लेकिन उन्होंने आगाह किया कि युवाओं को सांस लेने में दिक्कत होने पर सतर्क हो जाना चाहिए।”