शहडोल/मध्यप्रदेश | एमपी के शहडोल जिले में शासकीय वीरसमुंडा मेडिकल कॉलेज से एक साथ चार बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। एक साथ 4 बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है। परिवार वालों का रो-रोकर बुरा हाल है। 12 घंटे में 4 बच्चों की मौत हो गई है। पीआईसीयू में गंभीर हालत वाले बच्चों को भी भर्ती किया गया था। इसके लिए जरूरी है कि प्राथमिक इलाज में गंभीरता बरती जाए। 4 मौतों में अनूपपुर के बरगवां के आर्यन यादव को पहले से ही गंभीर हालत में एडमिट कराया गया था। 3 अन्य बच्चे वेंटिलेटर पर थे। जिन्हें सांस लेने में समस्या हो रही थी।
बताते चलें कि पिछले कुछ साल पहले शहडोल जिला अस्पताल में मासूमों की मौत हो गई थी, जिसके बाद वहां के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, सिविल सर्जन और स्वास्थ्य अधिकारी को हटा दिया गया था। शासन ने मेडिकल कॉलेज में तत्काल एसएनसीयू और पीआईसीयू शुरू करने के आदेश दिए थे। जिसके बाद मेडिकल कॉलेज में यह सेवा शुरू की गई। वहीं इस घटना में परिवार वालों का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज में उपचार के नाम पर महज़ खानापूर्ति की गई है।
पीआईसीयू या एसएनसीयू में नर्सिंग प्रभारी की ड्यूटी नहीं है। यह घटना उस समय भी सामने आई थी। वहीं लोगों ने दावा करते हुए जानकारी दी कि अधिकारियों को बताया गया था कि यहां के प्रभारी समय से ड्यूटी पर नहीं पहुंचते हैं। जिसकी वजह से मरीजों को कई प्रकार की समस्याएं होती हैं। कर्मचारियों ने मौखिक रूप से यह जानकारी उच्च अधिकारियों को भी दी थी लेकिन अधिकारियों ने भी कोई संज्ञान नहीं लिया था। वहीं बच्चों की मौत के मामले को छिपाने का प्रयास मेडिकल कालेज प्रबंधन कर रहा है। जानकारी के अनुसार सांस लेने की तकलीफ के चलते इलाज के दौरान बच्चों की मौत हुई है। परिजनों ने मामले की जांच की मांग की है।