पत्रकारों की मदद के लिए केंद्र की कल्याण योजना, गैर मान्यता प्राप्त व फ्रीलांसर भी उठा सकते हैं लाभ

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केंद्र सरकार पत्रकारों की मदद के लिए पत्रकार कल्याण योजना संचालित कर रही है।


पत्रकार की मृत्यु होने पर आश्रितों को पांच लाख की आर्थिक सहायता देने का प्रावधान है। स्थाई दिव्यांगता पर पांच लाख, गंभीर बीमारी की दशा में तीन लाख रुपये तथा किसी गंभीर दुर्घटना के कारण उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर दो लाख रुपये देने का प्रावधान है।

लखनऊ (उमेश तिवारी) | केंद्र सरकार पत्रकारों की मदद के लिए पत्रकार कल्याण योजना संचालित कर रही है। योजना की पात्रता के लिए भारत सरकार या किसी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए। यदि मान्यता प्राप्त नहीं है तथा वे प्रिंट, इलेक्ट्रानिक अथवा वेब आधारित सेवाओं से पिछले कम से कम पांच वर्षों से जुड़े हैं तो भी वे इस योजना के दायरे में आएंगे।

अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने बताया कि पत्रकार की मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्राविधान है। स्थाई दिव्यांगता के मामले में पत्रकार को पांच लाख रुपये, कैंसर, रीनल फेल्योर, बाई पास, ओपेन हार्ट सर्जरी, एंजियोप्लास्टी, ब्रेन हैमरेज और लकवाग्रस्त होने जैसी गंभीर बीमारी की दशा में तीन लाख रुपये तथा किसी गंभीर दुर्घटना के कारण उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर दो लाख रुपये देने का प्रावधान है।

इसी प्रकार गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकार को पांच वर्ष का अनुभव होने पर यदि वे किसी गंभीर दुर्घटना के कारण उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर एक लाख रुपये और उसके बाद अगले प्रत्येक अतिरिक्त पांच वर्षों के लिए एक-एक लाख रुपये की मदद प्रदान किए जाने की व्यवस्था है। गंभीर बीमारियों के इलाज के मामले में गैर-मान्यता प्राप्त पत्रकार को यह सुविधा केवल 65 वर्ष की आयु तक के लिए ही मान्य होगी।

पत्रकारों की जो परिभाषा वर्किंग जर्नलिस्टस एंड अदर न्यूज पेपर इंपलाई कंडीशंस आफ सर्विस एंड मिसलीनियस प्रोविजंस एक्ट 1955 में श्रमजीवी पत्रकारों के लिए दी गयी है, वही इस सहायता के लिए मान्य होगी। इस योजना का लाभ वे सभी पत्रकार जो प्रिंट मीडिया, इलेक्ट्रानिक मीडिया या वेब आधारित सेवाओं से जुडे हैं, को मिलेगा। फ्री लांस पत्रकार भी इस योजना के दायरे में आएंगे, लेकिन जो प्रबंधक की हैसियत से कार्य कर रहे हैं, वे इसके दायरे में नहीं आएंगे। पत्रकारों के परिजन भी इस योजना के दायरे में आएंगे। परिजन का अर्थ पति अथवा पत्नी, आश्रित माता-पिता अथवा आश्रित संतानों से होगा।

अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने बताया कि सहायता के इच्छुक पत्रकार पीआइबी की वेबसाइट pib.gov.in से अथवा भारत स्थित पीआइबी के किसी भी कार्यालय से आवेदन प्राप्त कर सकते हैं। विधिवत भरे हुए आवेदन पत्र को पीआईबी के संबंधित कार्यालय में जमा कराना होगा, जहां पीआईबी अधिकारी द्वारा मामले की जांच पड़ताल के बाद इसे मुख्यालय नई दिल्ली रिपोर्ट के साथ भेजा जायेगा। समिति द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सहायता राशि की स्वीकृति दी जाती है।

 

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