केएन कॉलेज के प्रोफेसर ने देहदान का लिया संकल्प, परिजनों को मरणोपरांत अंतिम इच्छा पूरी करने की दी जिम्मेदारी

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✓ स्व. बिसाहू दास महंत नवीन चिकित्सा महाविद्यालय के दूसरे देहदानी बने, भरा संकल्प पत्र


सार्थक दुनिया न्यूज़, कोरबा | 28, नवंबर 2022
कोरबा। कमला नेहरू महाविद्यालय के प्रोफेसर ओमप्रकाश साहू ने अपना देहदान करने का संकल्प लिया है। उन्होंने स्व. बिसाहू दास महंत स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय में मृत्यु उपरांत शरीर दान करने का घोषणा पत्र भी जमा कर दिया है। उन्होंने अपनी पत्नी श्रीमती दुर्गेश साहू व पुत्र गौरव साहू को मरणोपरांत अपनी इस अंतिम इच्छा को पूरी करने की जिम्मेदारी दी है।
हमारा राष्ट्र, सेवा – संस्कृति – संवेदना और संस्कारों का देश है। हम मानव सेवा को ईश्वर सेवा मानते हैं। पर आज के दौर में संवेदनशीलता एक लुप्तप्राय शब्द बनता जा रहा। हमारे बच्चे, जो कल के चिकित्सक हैं, वे शरीर में दर्द लेकर आने वाले मरीजों की पीड़ा महसूस करें। संवेदनशील बनें, लोगों की सेवा के लिए मन में समर्पण का भाव रखें। मस्तिष्क में दक्षता व हाथों में कुशलता धारण करें और यही उम्मीद रखते हुए मैंने देहदान का संकल्प धारण किया है।
यह बातें कोरबा मेडिकल कॉलेज में मरणोपरांत अपना शरीर चिकित्सा शिक्षा के लिए अर्पित करने का संकल्प लेकर दूसरे देहदानी बने ओमप्रकाश साहू ने कही। श्री साहू ने बीते दिनों देहदान का निर्णय लेते हुए मेडिकल कॉलेज में संकल्प पत्र भरा है। कोरबा मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी (शरीर रचना विभाग) डिपार्टमेंट के प्रभारी डॉ. जाटवर ने बताया कि श्री साहू का यह संकल्प पूरा करने की जिम्मेदारी उनकी धर्मपत्नी श्रीमती दुर्गेश साहू एवं पुत्र गौरव साहू निभाएंगे। उत्तराधिकारी के तौर पर अंतिम इच्छा पूर्ण करते हुए वे मेडिकल कॉलेज अंतर्गत शरीर रचना विभाग (एनॉटॉमी) के अधिकारियों को सूचित करेंगे।
आनंदम अपार्टमेंट सी-202 शारदा विहार वार्ड-12 में रहने वाले ओमप्रकाश साहू, कमला नेहरू महाविद्यालय कोरबा में वाणिज्य विभाग में सहायक प्राध्यापक हैं। उन्होंने अपने इस निर्णय के बारे में बताते हुए कहा कि वे बचपन से ही शिक्षा व सामाजिक जागरुकता के प्रति सक्रिय रहे हैं। एक दिन दिमाग में विचार आया कि जीवित रहते तो समाज के लिए कुछ कर पाने की सोच है, पर मृत्यु के बाद तो यह देह मिट्टी में मिल जाएगी। तब उसके बाद हम कैसे समाज को अपना योगदान दे सकेंगे। इसके बाद उन्होंने अपनी धर्मपत्नी समेत परिवार से चर्चा की। उन्होंने भी परिवार के मुखिया के इस पुनीत निर्णय का स्वागत करते हुए अपनी सहमति दे दी।
 स्वयंसेवी एवं शिक्षाविद हेमंत माहुलीकर बने प्रेरणा
देहदान के इस पुनीत संकल्प के लिए स्वयं देहदान का संकल्प ले चुके पूर्व शिक्षक, स्वयंसेवी एवं शिक्षाविद हेमंत माहुलीकर ही श्री साहू की प्रेरणा बने। श्री माहुलीकर की माताजी श्रीमती भानुमती माहुलीकर ने भी देहदान का संकल्प लिया और उनके पिता स्व. दत्तात्रेय जिले के पहले देहदानी रहे। श्री साहू ने मेडिकल छात्रों से गुजारिश की है कि देश के बीहड़ आदिवासी अंचल में अपनी सेवा का निर्वहन ईमानदारी व समर्पण के साथ करें। सुदूर वर्ग को उनकी सचमुच काफी जरूरत है, जिसे वे संवेदनापूर्वक चिकित्सा सेवा के अपने कार्य को करें। उन्होंने युवाओं से अंधविश्वास, कुरीतियों व कुप्रथाओं की बेड़ियों को तोडऩा का भी आह्वान किया।
98 प्रतिशत हादसे युवाओं के, एक व्यक्ति 65 जिंदगी बचाने में मददगार
श्री साहू ने कहा कि पढ़ने का शौक व पढ़ाने का प्रोफेशन है, लिहाजा उन्होंने कहीं एक बात पढ़ी थी, कि देश में होने वाले 98 प्रतिशत हादसे युवाओं के होते हैं। अगर समाज में जागरुकता लाएं और देहदान करें तो एक व्यक्ति 65 जिंदगी दे सकता है। युवाओं में यह भावना आ जाए तो देश का काफी भला हो सकता है। उन्होंने युवाओं को देहदान या अंगदान के लिए आग्रह करते हुए आगे आने का आह्वान किया है। इसके पूर्व समाजसेवी ओमप्रकाश सिंह कुसरो ने भी मेडिकल कॉलेज पहुंचकर मृत्यु उपरांत अपनी देहदान का संकल्प धारण किया है। वे कॉलेज के पहले देहदानी हैं।
मानव हित व चिकित्सा जगत के लिए सर्वोत्तम दान: डीन डॉ. अविनाश मेश्राम
कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. अविनाश मेश्राम ने कहा कि श्री साहू की यह पहल मानव जगत सहित चिकित्सा जगत के हित की दृष्टि से सर्वोत्तम दान है। इससे चिकित्सा शिक्षा प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को मानव देह को जानने व गहन अध्ययन करने में महत्वपूर्ण मदद मिलेगी और वे कुशल चिकित्सक बन सकेंगे। 

 

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